२८ फरबरी 20011
दोस्तों;
नमस्कार !
अन्य जागरूक भारतीयों की तरह आपके द्वारा उठाया गया मुद्दा , भ्रष्टाचार,
मेरा भी प्रिय …… है .
वर्षों से इस बिषय पर लिखकर परचा वितरण करता आ रहा हूँ
क्योंकि कुछ समय पहले तक ऐसे प्लेटफार्म से अनभिज्ञ था .
मेरे एक अप्रकाशित लेख की प्रति किसी प्रकार दिल्ली की एक
अंतर्राष्ट्रीय समाजसेवी संस्था तक पंहुच २०१० के
“राष्ट्रीय रतन अवार्ड ” {अशाश्कीय } हेतु मेरे नामांकन का कारण भी बनी थी .
मेरे उस लेख के अंश “हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर ” में जाज पर प्रदर्शित हैं .
मेरे मत में हम बहुत छोटी मांग कर रहे हैं !
केवल अज्ञात श्रोतों से जमा धन को जब्त कर लेना ही उचित दंड नहीं बहुत कम है !
मांग इस तरह के क़ानून की हो कि भ्रष्टाचार के आकार और प्रकार के आधार पर
आजीवन कारावास से मृत्युदंड तक की सजा दी जानी चाहिए .
क्योंकि भ्रष्टाचरण से कमाया जाने वाला प्रत्येक रुपया
किसी ना किसी का हक़ छीन किसी अयोग्य को दिए जाने का कारण होता है
जाने कितनों का जीवन इन भ्रष्टाचारियों के लालच की भेंट चढ़
नरक बन चुका होता है या समाप्त हो चुका होता है .
हर बड़ा भ्रष्टाचारी हजारों जीवन को नारकीय यातनाओं
भरा जीवन / भरी मृत्यु
का कारण होता है .
फिर इन हजारो जीवनों से खेलने वालों को मृत्यु दंड क्यों नहीं ?
मृत्यु दंड भी कम है इन नर पिशाचों के लिए .
इनके लिए तो विशेष अदालतें गठित कर
त्वरित निर्णय और संगसार जैसी सजाओं की व्यवस्था होनी चाहिए .
ताकि अराजकता पर कुछ तो लगाम लग सके
और ईमानदार को उसकी योग्यता का उचित मूल्य मिल सके !
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