Jai Chitra Gupt JI

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Global Kayasth Family -GKF

Friday, November 9, 2012

लेखनी कटनी हस्ते, चित्रगुप्त नमस्तुते

 
 मान्यता के अनुसार धर्मराज को धर्म प्रधान बनाकर सबके पितामह ब्रह्मा ने उन्हें अकर्मण्यता त्यागने को कहा। ब्रह्मा के आज्ञानुसार धर्मराज ने निवेदन किया व कहा कि कर्मो के लेखा-जोखा का कार्य सरल नहीं है। जीवों में देशकाल व उनके कर्म अनंत हैं। इसलिए ऐसा सहायक मित्र प्रधान करें जो नितांत धार्मिक, न्यायिक, ब्रह्मानिष्ठ व वेदशास्त्र का ज्ञाता हो। तब ब्रह्मा ने धर्मराज की बात स्वीकार कर घोर तपस्या की। जब नेत्र खोला तो अपने सामने श्याम रंग, कमल नयन व चन्द्रमा के समान मुख वाले को पाया। जिनके हाथ में कलम दवात थी। तभी से चित्रगुप्त पूजा मनाई जाती है।

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